दशनामी साधु समाज के इस अखाड़े की स्थापना कार्तिक शुक्ल दशमी मंगलवार विक्रम संवत १२०२
को उत्तराखंड प्रदेश में कर्ण प्रयाग में हुई | स्थापना के समय इसे भैरव अखाड़े के नाम से नामंकित किया गया था | बहुत पहले स्थापित होने के कारण ही संभवत: इसे जुना अखाड़े के नाम से प्रसिद्ध
मिली | इस अखाड़े में शैव नागा दशनामी साधूओ की जमात तो रहती ही है परंतु इसकी विशेषता भी
है की इसके निचे अवधूतानियो का संघटन भी रहता है इसका मुख्य केंद्र बड़ा हनुमान घाट ,काशी (वाराणसी, बनारस) है |
इस अखाड़े के इष्ट देव श्री गुरु दत्तात्रय भगवान है जो त्रिदेव के एक अवतार माने जाते है |
को उत्तराखंड प्रदेश में कर्ण प्रयाग में हुई | स्थापना के समय इसे भैरव अखाड़े के नाम से नामंकित किया गया था | बहुत पहले स्थापित होने के कारण ही संभवत: इसे जुना अखाड़े के नाम से प्रसिद्ध
मिली | इस अखाड़े में शैव नागा दशनामी साधूओ की जमात तो रहती ही है परंतु इसकी विशेषता भी
है की इसके निचे अवधूतानियो का संघटन भी रहता है इसका मुख्य केंद्र बड़ा हनुमान घाट ,काशी (वाराणसी, बनारस) है |
इस अखाड़े के इष्ट देव श्री गुरु दत्तात्रय भगवान है जो त्रिदेव के एक अवतार माने जाते है |
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