Monday 16 February 2015

Bam bam lahri

बम-बम लहरी,बम-बम लहरी, तू ही नाशक,तू ही प्रहरी;
---कैलाश के उत्तुंग शिखर, तुम खिले पुष्प हम हुए भ्रमर, तुम पर ही अब दृष्टि ठहरी; बम-बम लहरी...
--- यह तेरा ही प्रताप है, मिट गए सब विलाप हैं, तुझसे भक्ति हुई गहरी... बम-बम लहरी
---तू ही था पहले तू ही बाद, गूंजा था जब वह शंखनाद, ताण्डव से सारी सृष्टि सिहरी; बम-बम लहरी...
---तू परमब्रह्म, तू रत्नाकर,
तेरी यह प्रेम सुधा पाकर,
धन्य हुई काशी नगरी;
बम-बम लहरी
---काशी का कंकर शंकर है,
क्रोधित तो रूद्र भयंकर है,
दस दिश उसकी आभा बिखरी;
बम-बम लहरी

No comments:

Post a Comment