Monday 9 February 2015

श्री उदासीन अखाडा’


काम , क्रोध पर जीवन में विजय प्राप्त करने वाले माह्नुभाव निश्चय करके अंतरात्मा में ही सुख , आराम, और ज्ञान धारण करते हुऐ पूर्ण , एकी भाव से ब्रह् में लिन रहते है | उदासीन साधू के मन में निजी स्वार्थ की भावना का भी लूप होता’ है|

No comments:

Post a Comment