यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर
श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व
भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र
इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं।
कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से
ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से
मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह
ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से
व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
उज्जैन भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख धार्मिक शहर है जो क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है। उज्जैन बहुत ही पुराना शहर है। यह विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक महाकाल इस नगरी में स्थित है । उज्जैन के प्राचिन नाम अवन्तिका, उज्जयनी, कनकश्रन्गा आदि है। उज्जैन मन्दिरो की नगरी है। यहा कई तीर्थ स्थल है।
Tuesday 17 February 2015
मल्लिकार्जुन
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment