Friday 6 February 2015

उज्जैन शहर के बारे मे (about ujjain)

उज्जैन धार्मिक अस्थाओ व परंपरा के सम्मलेन का एक अनूठा शहर जो कि न केवल भारत अपितु समस्त संसार कि धार्मिक अस्थाओ का केंद्र कहा जा सकता है यह वह पवित्र नगरी है जहा ८४ महादेव, सात सागर,९ नारायण ,२ शक्ति पीठो के साथ विश्व मै १२ जोतिलिंगो मै से एक राजाधिराज महाकालेश्वर विराजमान है….
यह वह पवन नगरी है जिसमें गीता जैसे महान ग्रन्थ के उद्बोधक श्री कृष्ण स्वयं शिक्षा लेने आए अपने पैरों कि धुल से पाषणों को भी जीवटी कर देने वाले प्रभु श्री राम स्वयम अपने पिता तर्पण करने शिप्रा तट पर आए यही वह स्थान है जो कि रामघाट कहलाता है इस प्रकार विश्व के एक मात्र राजा जिसने कि सम्पुर्ण भारत वर्ष के प्रत्यक नागरिक को कर्ज मुख्त कर दिया वह महान शासक विक्रमादित्य उज्जैन कि हि पवन भूमि पर जन्मे | पवन सलिला मुक्तिदायिनी माँ शिप्रा यही पर प्रवाहित होती है एवं विश्व का सबसे बड़ा महापर्व महाकुम्ब /सिंहस्थ मेला विश्व के ४ स्थान मै से एक उज्जैन नगर मै लगता है इस नगरी कि महात्मा वर्णन करना उतना हि कठिन है जितना कि आकाश मै तारा गानों कि गिनती करना जय श्री महाकाल !!!
सिंहस्थ कुंभ महापर्व धार्मिक व आध्यात्मिक चेतना का महापर्व है। धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्याग, सेवा, उपकार, प्रेम, सदाचरण, अनुशासन, अहिंसा, सत्संग, भक्ति-भाव अध्ययन-चिंतन परम शक्ति में विश्वास और सन्मार्ग आदि आदर्श गुणों को स्थापित करने वाला पर्व है। हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन की पावन सरिताओं के तट पर कुंभ महापर्व में भारतवासियों की आत्मा, आस्था, विश्वास और संस्कृति का शंखनाद करती है। उज्जैन और नासिक का कुंभ मनाये जाने के कारण ‘सिंहस्थ’ कहलाते है। बारह वर्ष बाद फिर आने वाले कुंभ के माध्यम से उज्जैन के क्षिप्रा तट पर एक लघु भारत उभरता है।

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